रविवार, 15 जुलाई 2012

करामाती चाचा .....

गप्पें मारना भी एक नशा है जी, ..लत है ..,जिसे लग गयी तो कोई नीम हकीम इससे मुक्त न करा सकेगा ..!गपोड़ियों में चुम्बकीय प्रभाव होता है कभी ये आपकी तरफ आकर्षित होते हैं तो कभी आपको अपनी और आकर्षित करते है ..मतलब हर हाल में इन्हें आपसे चिपकना है ...! तो आज इस गपोड़ी श्रंखला को बढ़ाते हुए पेश है नए गपोड़ी ...बीरभान चाचा ...मेरे ही नहीं जगत चाचा है ..उम्र भले ही कम है लेकिन इनके जनक भी इन्हें चाचा ही कहते हैं ...! यह उपाधि है या पालतू नाम आज तक भ्रम है ..लेकिन बीरभान नाम इन्हें खुद भी नहीं मालुम रहता ..बे स्वयम भी चाचा नाम से ही आक्रष्ट होते हैं ..! खैर तो चाचा की शारीरिक संरचना केले के तने के समान सपाट है ...रंग भी केले सा धवल है ...लेकिन आँखों पर चड़ी आंखें थोड़ी सी बुद्धिजीविता की और अग्रसर कर देती हैं ...चाचा बड़े ही कलाकार जीव हैं मलाई काटना उन्हें अच्छे से आता है चूँकि अभी शादी नहीं हुयी सो स्वयम को किस्मत वाला मानते हैं ...! कहते भी हैं शादी मतलब पंगा ...आजकल स्थानीय चुनाव में मौज ले रहे हैं ..हर प्रत्याशी उनका अपना है ...सभी को आश्वासन दिए हुए हैं ..महापौर से लेकर सभासद तक सब उनकी मर्ज़ी से बनेंगे तय है ...! चाचा की करामाती जेब में बहुत सी ताबीज़ें रखी हुयी हैं और बे अपने ख़ास प्रत्यासियों को ( जो सभी हैं ) मुफ्त में दे रहें हैं ..! हर किसी के लिए कह देते हैं की खास बाबा से खास दरगाह से बनबाये हैं और कोई हरा नहीं पायेगा ..! सभी चमत्कार की आस में आश्वस्त हो कर सर माथे लगाये ताबीज़ बांधे घूम रहे हैं ..! चाचा ने बडबोले पन में हांकते हुए एक पट्टी के सारे वोट एक खास प्रत्यासी के नाम करने की बात कही ....चाचा की हांक जब ढीली पड़ गयी , जब मालूम पड़ा ये पट्टी तो इस वार्ड में ही नहीं ...चाचा पैंतरा बदलते हुए कहे ये विरोधियों की चाल है जो वार्ड ही बदल दिए ..! चाचा का दांव खाली पड़ते ही सुरती दवाये नई जुगाड़ में गुन गुनाते हुए निकल लिए ....

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