रविवार, 29 मई 2011

आदमी क्या सोचता है ?

एक आदमी की चाहत ...
६ अंकों का वेतन ...
५ अंकों की वचत ....
४ कमरों का मकान ...

३ हफ़्तों की छुट्टी...
२ बच्चे ........
१ गूंगी बीवी .....

गुरुवार, 26 मई 2011

किस्मत

आज में सोच रहा था की इस वक्त दुनिया का सबसे खुस किस्मत पति कौन हो सकता है ? अपने बारे में सोचा तो उतना नहीं पाया , फिर काफी मंथन करने के बाद यही निष्कर्ष निकला कि .......कनिमोझी का पति सबसे खुश किस्मत है क्योंकि??????.....२४० करोड़ हाथ में और पत्नी जेल में.......

शुक्रवार, 20 मई 2011

विश्वास...

एक छोटी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी एक पुल पर पानी बहुत तेजी से बह रहा था , पापा ने कहा बेटा डरो मत मेरा हाथ पकड़ लो ,बच्ची बोली नहीं पापा आप मेरा हाथ पकड़ लो । पापा ने मुस्करा कर कहा दोनों में अंतर क्या है?बेटी बोली , अगर में आपका हाथ पकडू और अचानक कुछ हो जाये तो शायद में हाथ छोड़ दूं ,लेकिन अगर आप मेरा हाथ पकड़ेंगे तो में जानती हूँ की एक छोटी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी एक पुल पर पानी बहुत तेजी से बह रहा था , पापा ने कहा बेटा डरो मत मेरा हाथ पकड़ लो ,बच्ची बोली नहीं पापा आप मेरा हाथ पकड़ लो । पापा ने मुस्करा कर कहा दोनों में अंतर क्या है?बेटी बोली , अगर में आपका हाथ पकडू और अचानक कुछ हो जाये तो शायद में हाथ छोड़ दूं ,लेकिन अगर आप मेरा हाथ पकड़ेंगे तो में जानती हूँ की चाहे कुछ भी हो जाए , आप मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे । .........आज भी बच्चे हाथ छोड़ देते है माँ - बाप नहीं......

रविवार, 15 मई 2011

किसान नेता श्री महेंद्रसिंह टिकेट जी के निधन पर अश्रु पूरित श्रधांजलि ..
वक्त फिसलता है रेत की तरह हम उसे संभालना भूल जातें है ।
कुछ लोग बहुत ख़ास होते है जिंदगी में हम उन्हें बताना भूल जाते है ....

शुक्रवार, 13 मई 2011

विवाह आप अपने लिए मत कीजिये .....पर अपने बच्चों के भविष्य के लिए कीजिये क्योंकि वे स्कूल जाने में लेट हो रहे हैं और.....फीस दिन पर दिन बदती जा रही है ......

सोमवार, 9 मई 2011

जिंदगी की उलझने शरारतें कम कर देती है ................ उन्हें लगता हे की हम बड़े हो गए है

रविवार, 8 मई 2011

कर्म

स्वर्ग का द्वार खुला ...चित्रगुप्त ने बताया की एक ही सीट खाली है। सभी अपनी जुगाड़ में लग गए ....नेता जी ने सेटिंग बनायीं ..रिश्वत की पेश-कश की अपनी औकात दिखा ही दी। पर बात नहीं बनी ... एक मठाधीश ने भी भगवान् की सेवा का वास्ता देकर अपने लिए जगह चाही लेकिन चित्रगुप्त उनकी हकीकत जानते थे कितने पाप और अत्याचार किये है भूलोक में ..दान लेकर लाखों की संपत्ति बनायीं और रत्न जडित सिंह्सन पर बैठा । उसपर भी विचार नहीं किया गया । ....
वहीँ कोने में एक विचार सा लड़का खड़ा था मांगने की चाह नहीं दिख रही थी ,लगता था कि उसे हर समझोते स्वीकार है ... तभी चित्रगुप्त ने उस से पूछा कि तुम कौन हो? लड़के ने बताया महाराज में सिविल सेवा कि तयारी करने वाला एक प्रतियोगी हूँ ..चित्रगुप्त ने कहा कि बस-बस चुपकर बेटा अब क्या रुला कर ही छोड़ेगा ....और उस लड़के को स्वर्ग में स्थान दे दिया ......
क्या आप तैयार है मानव धर्म और जैन धर्म निभाने के लिए ?........यदि हाँ तो आज ही नमोकार महामंत्र के जाप के साथ अपने घर की छत , मुंडेर, दालान,या जहाँ सुविधा जनक हो वहां ..इस गर्मी से बे-हाल पक्षियों के लिए कुछ जल और दाना अवस्य रखें......यही हमारा वास्तविक मानव धर्म होगा जय जिनेन्द्र !

शुक्रवार, 6 मई 2011

महात्मा गांधी के कपड़ों में एक भी जेब नहीं थी ,.....परन्तु अच्छे कर्मों के कारण वे हम सब की जेब में रहते हैं .....

बुधवार, 4 मई 2011

गुनाह

एक दिन मेरी भगवान् से मुलाक़ात हो गयी मैंने उनसे पूछा प्रभु,मुझे मेरे अतीत के दर्शन करा दो । उन्होंने पूछा कितने जनम के दर्शन करा दूं ,मैंने कहा कम से कम तीन के तो करा ही दो । भगवान् बोले ठीक है आँखें बंद करो मैंने आँखें बंद कर ली
पहला दर्शन ..... चंगेज़ खान के आक्रमण के समय का कराया चारों तरफ चीत्कार ,भयंकर नर्सह्नार बस एक ही प्रण साम्राज्य विस्तार ..में घबराकर बोला प्रभु में यह सब नहीं देख पाउँगा । और दुसरे जनम का दर्शन करा दीजिये
दूसरा दर्शन ...... ईस्ट इण्डिया कंपनी का शासन चहरों और लूट खसोंट किसान, मजदूर आम आदमी सब परेशान ज़मीने हड़प ली गयी अभी बे-हाल थे । फिर घबराकर मैंने आँखें खोल ली । मैंने कहा प्रभु अब मुझे तीसरा जनम नहीं देखना क्योंकि जिस युग में में पैदा हुआ हूँ यह भी चंगेजी या तेमूरी काल से कम नहीं है इस युग में कोई ओसामा है , कोई कलमाड़ी ,कोई डी राजा है । रही- सही कसर हमारे छोटे- मोटे अधिकारी कर लेते है । दुखी होकर मैंने उनसे यही पूछा की मुझे मुक्ति कब मिलेगी प्रभु हस्ते हुए बोले बेटा पंचम काल में मुक्ति कोई उपाए नहीं है।

मंगलवार, 3 मई 2011

गर्मी बढ़ने पर हर कोई बे-हाल हो जाता है । ऐसे में हमारा नैतिक दायित्व है की पशु - पक्षियों के लिए पीने के पानी का समुचित प्रबंध करे। यही मानव धर्म का सार है।