जिंदगी में ज्यादा ख़ुशी मिले तो पीछे मुड़कर देख लेना ,
हम पीछे होंगे
पर दुःख में पीछे मुड़कर मत देखना ,क्योंकि तब हम आपके साथ होंगे .......
' इतिहास बना दो ' हमारे अंतर्मन के कोने को झांकता हुआ बिम्ब है जिसका प्रतिबिम्ब समाज में कहीं न कहीं व्याप्त है ..! यह मेरा ऐसा प्रयास है जो नयी विधा को भी संरक्षित करने की भरसक कोशिश करेगा .......लेकिन आपके साथ मिलकर ..तो बढ़ाएं हाथ और चलें हमारे साथ ...
सोमवार, 4 जुलाई 2011
रविवार, 29 मई 2011
आदमी क्या सोचता है ?
एक आदमी की चाहत ...
६ अंकों का वेतन ...
५ अंकों की वचत ....
४ कमरों का मकान ...
३ हफ़्तों की छुट्टी...
२ बच्चे ........
१ गूंगी बीवी .....
६ अंकों का वेतन ...
५ अंकों की वचत ....
४ कमरों का मकान ...
३ हफ़्तों की छुट्टी...
२ बच्चे ........
१ गूंगी बीवी .....
गुरुवार, 26 मई 2011
किस्मत
आज में सोच रहा था की इस वक्त दुनिया का सबसे खुस किस्मत पति कौन हो सकता है ? अपने बारे में सोचा तो उतना नहीं पाया , फिर काफी मंथन करने के बाद यही निष्कर्ष निकला कि .......कनिमोझी का पति सबसे खुश किस्मत है क्योंकि??????.....२४० करोड़ हाथ में और पत्नी जेल में.......
शुक्रवार, 20 मई 2011
विश्वास...
एक छोटी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी एक पुल पर पानी बहुत तेजी से बह रहा था , पापा ने कहा बेटा डरो मत मेरा हाथ पकड़ लो ,बच्ची बोली नहीं पापा आप मेरा हाथ पकड़ लो । पापा ने मुस्करा कर कहा दोनों में अंतर क्या है?बेटी बोली , अगर में आपका हाथ पकडू और अचानक कुछ हो जाये तो शायद में हाथ छोड़ दूं ,लेकिन अगर आप मेरा हाथ पकड़ेंगे तो में जानती हूँ की एक छोटी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी एक पुल पर पानी बहुत तेजी से बह रहा था , पापा ने कहा बेटा डरो मत मेरा हाथ पकड़ लो ,बच्ची बोली नहीं पापा आप मेरा हाथ पकड़ लो । पापा ने मुस्करा कर कहा दोनों में अंतर क्या है?बेटी बोली , अगर में आपका हाथ पकडू और अचानक कुछ हो जाये तो शायद में हाथ छोड़ दूं ,लेकिन अगर आप मेरा हाथ पकड़ेंगे तो में जानती हूँ की चाहे कुछ भी हो जाए , आप मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे । .........आज भी बच्चे हाथ छोड़ देते है माँ - बाप नहीं......
रविवार, 15 मई 2011
शुक्रवार, 13 मई 2011
सोमवार, 9 मई 2011
रविवार, 8 मई 2011
कर्म
स्वर्ग का द्वार खुला ...चित्रगुप्त ने बताया की एक ही सीट खाली है। सभी अपनी जुगाड़ में लग गए ....नेता जी ने सेटिंग बनायीं ..रिश्वत की पेश-कश की अपनी औकात दिखा ही दी। पर बात नहीं बनी ... एक मठाधीश ने भी भगवान् की सेवा का वास्ता देकर अपने लिए जगह चाही लेकिन चित्रगुप्त उनकी हकीकत जानते थे कितने पाप और अत्याचार किये है भूलोक में ..दान लेकर लाखों की संपत्ति बनायीं और रत्न जडित सिंह्सन पर बैठा । उसपर भी विचार नहीं किया गया । ....
वहीँ कोने में एक विचार सा लड़का खड़ा था मांगने की चाह नहीं दिख रही थी ,लगता था कि उसे हर समझोते स्वीकार है ... तभी चित्रगुप्त ने उस से पूछा कि तुम कौन हो? लड़के ने बताया महाराज में सिविल सेवा कि तयारी करने वाला एक प्रतियोगी हूँ ..चित्रगुप्त ने कहा कि बस-बस चुपकर बेटा अब क्या रुला कर ही छोड़ेगा ....और उस लड़के को स्वर्ग में स्थान दे दिया ......
वहीँ कोने में एक विचार सा लड़का खड़ा था मांगने की चाह नहीं दिख रही थी ,लगता था कि उसे हर समझोते स्वीकार है ... तभी चित्रगुप्त ने उस से पूछा कि तुम कौन हो? लड़के ने बताया महाराज में सिविल सेवा कि तयारी करने वाला एक प्रतियोगी हूँ ..चित्रगुप्त ने कहा कि बस-बस चुपकर बेटा अब क्या रुला कर ही छोड़ेगा ....और उस लड़के को स्वर्ग में स्थान दे दिया ......
शुक्रवार, 6 मई 2011
बुधवार, 4 मई 2011
गुनाह
एक दिन मेरी भगवान् से मुलाक़ात हो गयी मैंने उनसे पूछा प्रभु,मुझे मेरे अतीत के दर्शन करा दो । उन्होंने पूछा कितने जनम के दर्शन करा दूं ,मैंने कहा कम से कम तीन के तो करा ही दो । भगवान् बोले ठीक है आँखें बंद करो मैंने आँखें बंद कर ली
पहला दर्शन ..... चंगेज़ खान के आक्रमण के समय का कराया चारों तरफ चीत्कार ,भयंकर नर्सह्नार बस एक ही प्रण साम्राज्य विस्तार ..में घबराकर बोला प्रभु में यह सब नहीं देख पाउँगा । और दुसरे जनम का दर्शन करा दीजिये
दूसरा दर्शन ...... ईस्ट इण्डिया कंपनी का शासन चहरों और लूट खसोंट किसान, मजदूर आम आदमी सब परेशान ज़मीने हड़प ली गयी अभी बे-हाल थे । फिर घबराकर मैंने आँखें खोल ली । मैंने कहा प्रभु अब मुझे तीसरा जनम नहीं देखना क्योंकि जिस युग में में पैदा हुआ हूँ यह भी चंगेजी या तेमूरी काल से कम नहीं है इस युग में कोई ओसामा है , कोई कलमाड़ी ,कोई डी राजा है । रही- सही कसर हमारे छोटे- मोटे अधिकारी कर लेते है । दुखी होकर मैंने उनसे यही पूछा की मुझे मुक्ति कब मिलेगी प्रभु हस्ते हुए बोले बेटा पंचम काल में मुक्ति कोई उपाए नहीं है।
पहला दर्शन ..... चंगेज़ खान के आक्रमण के समय का कराया चारों तरफ चीत्कार ,भयंकर नर्सह्नार बस एक ही प्रण साम्राज्य विस्तार ..में घबराकर बोला प्रभु में यह सब नहीं देख पाउँगा । और दुसरे जनम का दर्शन करा दीजिये
दूसरा दर्शन ...... ईस्ट इण्डिया कंपनी का शासन चहरों और लूट खसोंट किसान, मजदूर आम आदमी सब परेशान ज़मीने हड़प ली गयी अभी बे-हाल थे । फिर घबराकर मैंने आँखें खोल ली । मैंने कहा प्रभु अब मुझे तीसरा जनम नहीं देखना क्योंकि जिस युग में में पैदा हुआ हूँ यह भी चंगेजी या तेमूरी काल से कम नहीं है इस युग में कोई ओसामा है , कोई कलमाड़ी ,कोई डी राजा है । रही- सही कसर हमारे छोटे- मोटे अधिकारी कर लेते है । दुखी होकर मैंने उनसे यही पूछा की मुझे मुक्ति कब मिलेगी प्रभु हस्ते हुए बोले बेटा पंचम काल में मुक्ति कोई उपाए नहीं है।
मंगलवार, 3 मई 2011
मंगलवार, 26 अप्रैल 2011
शनिवार, 23 अप्रैल 2011
शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011
हे देशवासियो क्यों देश की चिंता करते हो ?,तुम्हारा था ही क्या जो बिगड़ गया ..भ्रस्टाचार यहाँ पैदा हुआ यहीं रह जाएगा ...तुम अपने साथ ना इसे लाये थे ना साथ ले जाओगे ..तमाम सुधारक आये और चले गए ..तुम भी चले जाओगे इसलिए हे प्राणी व्यर्थ की कवायद छोड़ ..अपना लोटा छानकर पी ..कुएं छानोगे तो छन्ने फट जायेंगे पर छान नहीं पायोगे .....(गीता सार से प्रेरित )
गुरुवार, 21 अप्रैल 2011
भारत में एक मात्र स्थान जहाँ भोजन सबसे सस्ता है !...चाय =१ रूप.,सूप =५.५०रुप.,दाल =१.५०रुप.,चावल = २रुप.,रोटी =१रुप.,डोसा=४रुप.,बिरयानी=८रुप.,यह गरीब आदमियों का भोजन संसद की केन्टीन में उपलब्ध है ! इन गरीब आदमियों का वेतन ८०००१रुप.,प्रति माह है ! वोह भी आयकर मुक्त ......वाह रे भारत ऐसी गरीबी को कौन नहीं तरसेगा ???
रविवार, 17 अप्रैल 2011
शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011
डॉ विनायक सेन को रिहा करना यह दर्शाता है की पता नहीं कितने और विनायक सेन इसी प्रकार के आरोपों में बंदी होंगे । मैं नक्सलवाद का समर्थक नहीं हूँ , लेकिन इतना जरूर कहना चाहूँगा की नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मानवाधिकार आयोग पहल कर निर्दोषों को मुक्त करने की पहल करें | नहीं तो बदने वाली हिंसा के जिम्मेदार हम खुद होंगे !
गुरुवार, 14 अप्रैल 2011
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
Parichay
क्षमा करे मान्यवर मैं पीड़ा पुत्र
दुःख मेरा सहोदर निराशा मेरा संबल
मैं अभिशप्त लौह पुरुष
क्षमा करे मान्यवर मैं पीड़ा पुत्र
दुःख मेरा सहोदर निराशा मेरा संबल
मैं अभिशप्त लौह पुरुष
क्षमा करे मान्यवर मैं पीड़ा पुत्र
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