शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मणिलाल भैया.......



मणिलाल तिवारी , चिंतामणि की आस में रिटाइरमेंट भी पा गए लेकिन बहुत से सुख उनकी पहुँच से थोड़ी ही दूर पर दम साधे खड़े रहे ! पता नहीं तिवारी जी उन सुखों की आहट नहीं सुन पाए या खिसियाकर उससे दूर ही खड़े रहे , हो सकता है ज़बरदस्ती गाँधी जी की तस्वीर के नीचे सो गए हो सो सपने में नैतिकता का केमीकल लोचा डाल गए हों ! लेकिन इस आधार पर सारे सुखों को त्याग दिया हो ऐसा नहीं था , सुखों का रास 
धारण कर माँ लक्ष्मी की निकटता का अहसास सदैव रहा ! तिवारी जी विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही एक ज्योतिषी का सानिध्य पा गए अक्सर अपने लिए आशीर्वाद की वाट जोहते ! स्नातक होते-होते एक बार पान की पीक के साथ एक आशीर्वाद भी पा गए , ज्योतिषी भविष्य का चित्रांकन कर उन्हें बड़े लोगों के घरों में प्रवेश और सानिध्य का आशीर्वाद दे दिए ! तिवारी जी गदगद हो गये सोचा लगता है की अब IAS से नाचे का क्या पद होगा ?? सो इसी सपने को पालते पोषते देवी-देवताओं से लेकर तमाम बाबाओं के दीवाने हो गए ! तरुणाई सिर चढ़ कर बोल रही थी , सो एक दिन थानेदार से भी भिड़ लिए . भिडंत इतनी ज़ोरदार थी की भविष्य के अधिकारिपने के चक्कर में लाठिओं के सुर उनके वेदनामई आलाप में बदल गए ! तिवारी जी मानों ज़मीन पर ही चले आये अब सपने रंबिरंगे तारों में बदल गए !

सिविल सेवा की पढाई की जगह अन्यत्र लिप्तता और चक्षु पोषण के चक्कर में उम्र गँवा बैठे सो सपना विलोपित सा होने लगा ! खैर सांस है तो आस है , तिवारी जी के ताउजी रघुनाथ प्रसाद अपने ज़माने के खासे बकैत रहे , भौकाल टाईट रखते थे इसी चक्कर में एक बिजली इंजीनिअर साहब की बिटिया को रोज डिपर देते , एक दिन पास मिल गया और ओवरटेक कर गए !खबर से बिजली इंजीनिअर की बत्ती गुल हो गयी , बड़े मान मनुहार के बाद पीछा छोड़े और कसम धरा ली की ज़रुरत पडी तो पीछे न हटना !बस मणिलाल के प्रसंग में ज़रुरत पड़ गयी , आखिर बाबूजी जवानी के नशे में थे काम न मिलता तो पगलाए सांड से घूमते सो बधिया करने की तयारी कर दी गयी और बिजली इंजिनीअर से कहकर नौकरी लगवा दी गयी ! पद नाम कोई बड़ा नहीं था , लेकिन ज्योतिषी कथन सत्य जान पड़ता था ! वे लाइन मेन बन गए ! वे हर बड़े छोटे घर में बे रोकटोक आ जा सकते थे ! कटिया मारों से ज़ज्बाती रिश्ते बना लिए थे सो अतरिक्त व्यवस्थाएं लक्ष्मी जी खुद कर जाती थीं ! कहीं कोई दिक्कत नहीं शादी किये , पिता कहलाने का सुख पाए और उनकी भी शादी कर लिए ! मणिलाल जी को अतरिक्त आमदनी की आस थी सो रिक्शों का काम शुरू करा दिए १०-२० रिक्शे जमा कर किराये पर देना शुरू कर दिए ! गाहे बगाहे रिक्शे पंचर होते सो एक बार तुनकी में बोले ससुरो तुम लोग रिक्शा नहीं चला पाते देखो आज में रिक्शा ले जाता हूँ ! तिवारी जैसे ही रिक्शा हांके पहिया पंचर हो गया ! तिवारी जी निराश नहीं हुए , सही कराकर आगे बढे , ज्यों ही चौराहे पर पहुंचे पैरों में करेंट सा दौड़ गया ! मालुम पड़ा की ये तो पुलिस का डंडा था ! पुलिस वाले ने गाली देते हुए रिक्शे से उतारकर साइड में लगवा दिया! और कहा कल कट मारकर निकला था क्यों रे , तिवारी जी ने कहा की कोई और रहा होगा लेकिन पुलिस वाला नहीं माना ! वह रिक्शा पहचानता था उस पर लिखा था - ' हनुमान जी सदा सहाय रहें ' ......

2 टिप्‍पणियां:

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