शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

बारेलाल छीपा......




बचपन में  इनसे खासी मुलाकातें होती रहीं उम्र का अंदाज़ नहीं लगता था देह साठ पार बताती थी लेकिन कारनामें चालीस से ऊपर की इजाज़त न देते थे ! क्योंकि , तब की याददाश्त में उनके यहाँ एक नवजात भी था ! जिसके पिता होने का दावा वे करते रहते थे ! लगता है बीडी के धुएं ने उनकी मर्दानगी के साथ-साथ चेहरे से युवा होने के भाव भी चूस लिए ! बारेलाल के पडौसी रात को निश्चिंत होकर सोते , क्योंकि रात भर की खंसाई से मुफ्त में पहरेदारी हो जाती ! इसीलिए ठाकुर राधे सिंह अपनी बकरी को यूँ ही छोड़ देते ! बारेलाल छीपा बीडी के धुएं का गुबार ऊपर और नीचे से विसर्जित करते हुए अपने पूर्वजों को मुगलों के समय का रंगरेज़ बताते हैं ! वो तो बस नहीं चला नहीं तो कह देते की शाह्जान का अंगरखा और अनारकली की चोली भी वे ही रंगे थे ! बारेलाल की साँसे रेल इंजिन की आवाज को मात देती थी , नव युगल प्रेमी-प्रेमिका भी ऐसी सांस से थर्रा जाएँ , कारण अज्ञात था ! लेकिन वैज्ञानिक शोध इसके पीछे उनके फेफड़ों में हुआ संक्रमण बताते !

बारेलाल अपने पुश्तेनी व्यवसाय में नहीं थे वल्कि कभी राजगीरी या हम्माली जैसे काम में लगे रहते थे ! लेकिन माता , बाबा , धर्म , टोटका , भूत -प्रेत  , जिन्न-जिन्नात सब पर बड़ा भरोसा करते ! चूँकि बात अपने बचपन की है सो उनके बुढापे का लिहाज़ रखते हुए  कभी प्रतिरोध नहीं किये ! बारेलाल पक्के देवी भक्त थे , माँ काली की सवारी आने का दावा करते जय कार बुलते ही माता साक्षात आतीं और जो चाहें बुलबा लेती ! बारेलाल के अवचेतन में अंग्रेजी न सीख पाने की कुंठा थी सो कुछ अंग्रेजी सीखने की कोशिश ज़ारी रहती ! इसलिए जैसे ही बारेलाल पर माता आते ही सबसे  पहले प्रश्न पूछती, हू आर  यू ? माता को अंग्रेजी बोलते देखना बड़ा ही आश्चर्यजनक रहता ! लेकिन अपने समसामयिक अनुभवों के अलावा जैसे ही कोई प्रश्न दागा जाता  माता तुरंत  गायब हो जाती ! माता जब शरीर छोडती बारेलाल अचेत हो जाते ! एक बार इसी अचेतावस्था में मैंने बारेलाल को चुटकी  भर ली अचानक चेतना आ गयी जिसे आने में अक्सर टाइम लगता था ! एक बार मैंने उन्हें बीडी देते हुए इस का राज़ पूछा, बोले माता तो हमेशा शरीर में रहती हैं लेकिन आती सिर्फ सच्चे भक्तों के सामने ! में समझ गया जो अनर्गल प्रश्न पूछते हैं वे सच्चे भक्त हो ही नहीं सकते !!!  जय हो

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर.
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