रविवार, 2 दिसंबर 2012

शादी की पटकथा .......



शादी का भयंकर जाम वाला सीजन चालू हो गया है ..! सब व्यस्त हैं ननद समेटने में , भौजाई चपेटने में , सास छुपाई में , भैया बचाई में ..कहीं भी भौतिक बेगानापन नहीं ! बिलकुल अपनापन निर्जीव वस्तुओं पर जीवंत रिश्तों की कीमत पर ! हर जगह गणना..कितना कौन बचा ले जाए ?? शादी के माहौल का अपना ही मज़ा है , कुछ बाकये आपको ज़रूर चौंका जाते हैं ! ओ,माईईईई गॉड..पप्पू को देखो मेकओवर चिनाई ही नह
ीं आ रहे है क्या बाल , क्या गाल, और क्या चाल ?सब बदल गए पप्पू को बुलाएं तो वे खुद को ही भूल रहे थे तब याद पड़ा अरे ये तो आशीष भी कहे जाते हैं .. तभी पकड़ में आये ! और पप्पी इन्हें तो दिन में भी कोई सामान्य विकल्प में नहीं रखता है आज बड़ी ही व्यस्त दिख रही है ! थोड़े ठीक ठाक लोगों के अलावा जो वर्ग था वो बरबस ही पप्पी के लिए आतुर था ! करना क्या है आँखों से शिकार ही तो करना है .. ! कौन सा वन्य जीव अधिनियम लगा जा रहा है पता नहीं कितने तीर लगातार बहुत सी पप्प्यिओं को लग रहे थे और पप्पी भी मन ही मन खुश हो रहीं थी ! अरे ये बेचैन सा आदमी , ओह्ह बिटिया का बाप पक्का ..ये लक- दक महिला जो सब कुछ दिखाने को आतुर पक्का बिटिया की मम्मी .. ! आंकलन गलत नहीं था , बुझे हुए चहेरे बाले कौन साहब हैं अरे चाचाजी ही हैं अच्छा खेत का विवाद यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ रहा उफ्फ्फ्फ़ , मुहं फुलाए फूफा जी ..लगता है मान मनौव्वल कोई कमी रह गयी निर्जीव से बैठे ये शख्स कौन लगता है दादाजी हैं , इन्हें कोई नही पूछ रहा ! बिलकुल पुराने रेडिओ की तरह चुपचाप कोने में दुबके बैठें हैं ....एक बुढ़िया की निगाहें लगातार किसी को खोज रहीं थी ..ओह्ह दादी जी लगता है दादाजी को तलाश रहीं है, खाना खाया क्या?? ये रोबीला गबरू जो अपनी उम्र को छुपाने की भरसक कोशिश कर रहा है कौन है भाई ?? अच्छां, समधी जी इनसे बड़ी छाती बाला तो कोई हो नहीं सकता ... लड़का पैदा करने का पुनीत कर्तव्य जो इनके हिस्से आया था ...., खैर अपन लपक के कुकुर भोज में चिपके और इठलाती इमरती पर हाथ साफ़ कर निकल लिए , और हाँ बिल चुकाना नहीं भूले , जिसे लोग व्यवहार कह रहे थे !!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें