http://www.facebook.com/ranish.jainबात हो ही रही है तो हम भी कह लेते हैं ..बैसे कहना और सुनना दोनों ही बड़े ही लाजवाब काम हैं ! ..कहने वाला उगलने को आतुर रहता है और ..सुनने वाला बचने को ..! खैर कहा सुनी की बात है ..देश कचेहरियों की दम पर चलता है इसमें कोई शक नहीं ..अब कोई अब्मानना न ठोक देना नहीं तो कहा सुनी के चक्कर में लेने के देने पड़ जायेंगे ..हाँ तो चलता है ....जिसमे कोई मुब्बक्किल होता है ..,और कोई उकील ( बकील ) बाबू ..और कोई जज महोदय ...मैं आज तक कोतवाली से कचेहरी तक का गणित नहीं समझ पाया ! मैं आज मनोहर प्रसाद का एक वाकया सुनाता हूँ ....मनोहर प्रसाद तीन बेटियों के बाप हैं ..लाचार कहे जा सकते हैं ..समाज उन्हें बेचारा भी कह लेता है ..तो हम भी मान लेते हैं ...! दुबले पतले सींक सी आस्तीनों वाले पान खवुआ मनोहर बड़े ही आस्तिक है ..यह मिज़ाज़ अपनी माता जी से बचपन में पाए थे ..कहते हैं मनोहर के लिए माता जी पडिला महादेव ( इलाहबाद ) खूब पूजी थी तभी ये अवतार लिए थे ! शंकर का अंश तो न मिला अलबत्ता इन्हें शनि , राहु , केतु खूब हांकते रहे ..आज कल भी शायद इन्ही में से किसी की गिरफ्त में है सो कचेहरी के चक्कर लगा रहे हैं ...गलती से तीन बीघा ज़मीन पा गए वो भी रोड किनारे...सो इनकी किस्मत गुलज़ार होते-होते दबंगों की ज़द में आ गयी ...फिर क्या था बेचारगी तो आनी ही थी ..सो अपने आप चलकर आ गयी ! किस्मत को कोसते मनोहर बाबू उकील बाबू से तगड़ी जिरह की मांग कर रहे थे ...उकील साहब पिच्च..च..च.. करते हुए कोशिश करने का वादा कर रहे थे ....और मुस्कराते हुए स्वयम को कमलापति बनाने की जुगाड़ में खड़े थे ...
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