बुधवार, 28 नवंबर 2012

अहिवरन देशभक्त

अहिवरन , इस नाम के शब्दार्थ पर जाने की अधिक आवश्यकता नहीं है ..हाँ , लेकिन इतना ज़रूर जान लीजिये की ये राष्ट्र निर्माण के नाम पर शहीद होते-होते ज़रूर बचे ! अहिवरन को बचपन से बड़ा मलाल था की कैसे देश की सेवा करें?? सेना में शरीर धोखा देता था , पुलिसिया रॉब चहेरे  पर फबता न था , और अधिकारी बनने का सपना देख कर कोई गुनाह नहीं करना चाहते थे ! बस फिर भी राष्ट्र निर्माण का अभूतपूर्व संकल्प लिए बैठे हुए थे ! शादी की अतरिक्त योग्यता थी नहीं , और पूर्ण कालिक प्रचारक बनने से सख्त परहेज़ था ! जवान कुंवारा अहिवरन रात तक फ्री टू एयर चेनल तलाशते-तलाशते एक योगी चेनल पर रुक गया ! बाबा ने संवाद किया क्या तुम देश भक्त हो ??? बरबस ही सब बोले हाँ , तुम भारत माता की सेवा करना चाहते हो ?? प्रतिउत्तर मिला हाँ , क्या देश द्रोहियों का नाश करोगे ?? सामूहिक उत्तर हाँ ! फिर बाबा ने निरोगी काया और राष्ट्रनिर्माण का संयोजन कर अट्टहास लगाया ! अहिबरन बाबा की बातों में आगये जैसे रावण की माया के सम्मुख सीता ! बाबा ने कहा की गरम पानी से नहाने से धातु क्षय होता है , नपुंसकता आ जाती है , अहिवरन के चहेरे पर चिंता की लकीरें खिंच गयीं , सोचा मैं कैसे परीक्षण करूं.. ? साधन तो कोई उपलव्ध न था लेकिन नपुंसक होने खतरा ज़रूर डराने लगा ! क्योंकि गरम पानी से पता नहीं कितनी धातु का क्षय हो चुका होगा ?? इसी मनन में तडके ठन्डे पानी से ठण्ड में नहाने के लिए आतुर हो गए ! सोचा की अब तक अनजाने में जो गलती हुयी सो तो ठीक है लेकिन आगे नहीं होने दूंगा ! क्योंकि राष्ट्रनिर्माण में भले ही सीधे योगदान न दे सका तो क्या हुआ लेकिन दो-चार कुचल मानव संसाधन देकर तो योगदान देकर तो राष्ट्रनिर्माण कर ही  सकता हूँ ! न्यूटन के पिता को भले कोई नहीं जानता लेकिन न्यूटन को तो दुनिया जानती है ! बस इस राष्ट्र निर्माण के पुनीत कर्म को करने के चक्कर में सीधे बाथरूम में ऊर्जा से लवरेज होकर घुसे ! ठन्डे पानी को डालते ही करंट सा लगा साध न पाए धप्प  से गिरे शरीर अकड़ गया ,मानो  जान ही निकल गयी ! प्रकृति के कई प्रकोप एक साथ टूट पड़े , अहिवरन सुबह -सुबह अस्पताल में टांग उठाये पड़े मिले ! बोले बस राष्ट्र निर्माण क प्रयास है सो इसे जारी रखना है नहीं तो देश हमसे क्या कहेगा ! की यहाँ कितने आस्ट्रेलिया बने जा रहे हैं और तुम उसमे एक ईंट भी नहीं लगा सके !!!

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