बुधवार, 4 मई 2011

गुनाह

एक दिन मेरी भगवान् से मुलाक़ात हो गयी मैंने उनसे पूछा प्रभु,मुझे मेरे अतीत के दर्शन करा दो । उन्होंने पूछा कितने जनम के दर्शन करा दूं ,मैंने कहा कम से कम तीन के तो करा ही दो । भगवान् बोले ठीक है आँखें बंद करो मैंने आँखें बंद कर ली
पहला दर्शन ..... चंगेज़ खान के आक्रमण के समय का कराया चारों तरफ चीत्कार ,भयंकर नर्सह्नार बस एक ही प्रण साम्राज्य विस्तार ..में घबराकर बोला प्रभु में यह सब नहीं देख पाउँगा । और दुसरे जनम का दर्शन करा दीजिये
दूसरा दर्शन ...... ईस्ट इण्डिया कंपनी का शासन चहरों और लूट खसोंट किसान, मजदूर आम आदमी सब परेशान ज़मीने हड़प ली गयी अभी बे-हाल थे । फिर घबराकर मैंने आँखें खोल ली । मैंने कहा प्रभु अब मुझे तीसरा जनम नहीं देखना क्योंकि जिस युग में में पैदा हुआ हूँ यह भी चंगेजी या तेमूरी काल से कम नहीं है इस युग में कोई ओसामा है , कोई कलमाड़ी ,कोई डी राजा है । रही- सही कसर हमारे छोटे- मोटे अधिकारी कर लेते है । दुखी होकर मैंने उनसे यही पूछा की मुझे मुक्ति कब मिलेगी प्रभु हस्ते हुए बोले बेटा पंचम काल में मुक्ति कोई उपाए नहीं है।

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