' इतिहास बना दो ' हमारे अंतर्मन के कोने को झांकता हुआ बिम्ब है जिसका प्रतिबिम्ब समाज में कहीं न कहीं व्याप्त है ..! यह मेरा ऐसा प्रयास है जो नयी विधा को भी संरक्षित करने की भरसक कोशिश करेगा .......लेकिन आपके साथ मिलकर ..तो बढ़ाएं हाथ और चलें हमारे साथ ...
गुरुवार, 14 अप्रैल 2011
बे-गैरत , बे-हया ,बे-शर्म ,और क्या - क्या कहूं इस नासमझ को जिसे पब्लिसिटी पाने के लिए क्या - क्या करना पड़ रहा है
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