' इतिहास बना दो ' हमारे अंतर्मन के कोने को झांकता हुआ बिम्ब है जिसका प्रतिबिम्ब समाज में कहीं न कहीं व्याप्त है ..! यह मेरा ऐसा प्रयास है जो नयी विधा को भी संरक्षित करने की भरसक कोशिश करेगा .......लेकिन आपके साथ मिलकर ..तो बढ़ाएं हाथ और चलें हमारे साथ ...
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
Parichay
क्षमा करे मान्यवर मैं पीड़ा पुत्र दुःख मेरा सहोदर निराशा मेरा संबल मैं अभिशप्त लौह पुरुष क्षमाकरेमान्यवरमैंपीड़ापुत्र
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